रीति रिवाजों में छुपा जेण्डर भेदभाव - श्रंखला ‘‘एक’’ अगस्त माह से नवंबर तक भारत वर्ष में कुछ महत्वपूर्ण पर्व मनाये जाते हैं। जिसमें रक्षाबंधन और करवाचैथ, सार्वभौमिक रूप से मनाया जाता है और नागपंचमी के दिन गुड़िया पटक्का और झेझीं अैर टेसू दो क्षेत्रीय त्यौहार है। गुड़िया पटक्का मुख्यतः पूर्वांचल का त्यौहार है जो सीतापुर के नैमीषारण्य जिले में प्रमुखता से मनाया जाता है। झेझीं टेसू पष्चिमी उत्तर प्रदेश का त्यौहार जो कि औरैया, एटा, मैनपुर, आदि जिलों में मुख्यतः मनाया जाता है। इन सभी त्यौहारों में एक बात सामान्य है कि सब में औरत ही अपने घर के पुरूषों की दीर्घआयु, स्वास्थ्य, सुरक्षा आदि की कामना करती है। लोग कहते है भारत में आज समानता है और अब तो लड़कियां भी बराबरी से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। तो हमारी परम्पराओं में बदलाव क्यों नही आ रहा है। क्यों अभी भी महिलायें ही पुरूषों की लम्बी कामनाओं की उम्मीद से व्रत या पूजन कर रही हैं। भाई बहन की कलाई पर धागा बांधकर अपनी रक्षा की कामना करती हैं परन्तु क्या वास्तविकता में ऐसा हो रहा है क्या भाई बराबरी से अपनी बहन के हक और सम्मान की लड़ाई कर पा