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Showing posts from August, 2017

रीति रिवाज और महिलाये

रीति रिवाजों में छुपा जेण्डर भेदभाव - श्रंखला ‘‘एक’’ अगस्त माह से नवंबर तक भारत वर्ष में कुछ महत्वपूर्ण पर्व मनाये जाते हैं। जिसमें रक्षाबंधन और करवाचैथ, सार्वभौमिक रूप से मनाया जाता है और नागपंचमी के दिन गुड़िया पटक्का और झेझीं अैर टेसू दो क्षेत्रीय त्यौहार है। गुड़िया पटक्का मुख्यतः पूर्वांचल का त्यौहार है जो सीतापुर के नैमीषारण्य जिले में प्रमुखता से मनाया जाता है। झेझीं टेसू पष्चिमी उत्तर प्रदेश का त्यौहार जो कि औरैया, एटा, मैनपुर, आदि जिलों में मुख्यतः मनाया जाता है। इन सभी त्यौहारों में एक बात सामान्य है कि सब में औरत ही अपने घर के पुरूषों की दीर्घआयु, स्वास्थ्य, सुरक्षा आदि की कामना करती है। लोग कहते है भारत में आज समानता है और अब तो लड़कियां भी बराबरी से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। तो हमारी परम्पराओं में बदलाव क्यों नही आ रहा है। क्यों अभी भी महिलायें ही पुरूषों की लम्बी कामनाओं की उम्मीद से व्रत या पूजन कर रही हैं। भाई बहन की कलाई पर धागा बांधकर अपनी रक्षा की कामना करती हैं परन्तु क्या वास्तविकता में ऐसा हो रहा है क्या भाई बराबरी से अपनी बहन के हक और सम्मान की लड़ाई कर पा

महिला सशक्तीकरण एक विचारधारा

महिला सशक्तीकरण एक विचारधारा है। इस विचारधारा को समझना और लागू करना एक जटिल कार्य है। महिला सशक्तीकरण से आशय है कि किसी भी महिला या लड़की को अपने सपने देखने और उसको पूरा करने का अधिकार हो उसकी पहचान हो उसको निर्णय लेने का अधिकार हो, वह अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र हो, संसाधनों और सम्पत्ति पर उसका अधिकार हो और ऐसे मंचों तक उसकी हिस्सेदारी हो जो नीति और नियमों का निर्धारण करते हों। जब तक महिला सशक्तीकरण को इस वृहत्त और सम्यक रूप में नही देखा और समझा जायेगा तब तक वास्तिविक सशक्तीकरण आना संभव नही है। ऐसा मेरा विचार 27 वर्षाे के महिला सशक्तीकरण के एक परिवक्व कार्यक्रम से 18 साल के जुड़ाव से विकसित हुआ। आमतौर पर सशक्तीकरण के लिए महिलाओं की सुरक्षा को एक अहम मुद्दे के रूप में देखा जाता है और इसके लिए सरकार द्वारा आजादी के समय से बहुत से कानून व नीतियों का निर्माण किया गया, लेकिन आजादी के 70 वर्षो बाद भी महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान व पहचान एक ऐसे दो राहे पर खड़ी है जिसके अंत का छोर दिखता ही नही है। जितने नियम व कानून बनाए जाते हैं उतनी ही तेजी से महिलाओं के साथ होने वाली ंिहंसा उभर कर आती है। व