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Showing posts from May, 2017

रीति-रिवाज, परम्पराओं में बदलाव से सोच में परिवर्तन

जेण्डर एक ऐसा शब्द है जो विश्व स्तर पर सामाजिक प्रचलनों पर आधारित भेदभाव को व्याखित करता है। जेण्डर आधारित भेदभाव, जेण्डर आधारित हिंसा दुनिया की आधी आबादी के विकास में बाधा पहुंचाना का सबसे बडा कारण माना जा रहा है। यही कारण है कि शताब्दी के विकास लक्ष्य (मिलेनियम डवलपमेंट गोल)े में भी जेण्डर आधारित भेदभाव को दूर करने के लिये विश्व के समस्त दोषों से यह अपेक्षा की गयी कि वे अपने अपने देश में प्रचलित जेण्डर आधारित भेदभाव को दूर करने के लिये नियम, नीतियां, योजनायंे और कानून बनायें। महिला समाख्या कार्यक्रम इसी जेण्डर आधारित भेदभाव को दूर करने के लिये बनाया गया। जिसका मुख्य लक्ष्य महिला सशक्तीकरण है। हमारे  समाज में बहुत सी ऐसी परम्पराएं, रीति-रिवाज, संस्कार, उपवास प्रचलन में हैं जिसका निर्वहन सिर्फ महिलाओं को करना होता है। उ0 प्र0 में भी अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग परम्पराए रीतियां उपवास प्रचलित हैं। महिला समाख्या ने जब महिलाओं के बीच उनके सुख दुख को बांटने, उनकी दैनिक दिनचर्या पर चर्चा करने के लिये बातचीत की तो उन रीतियों, परम्पराओं, उपवासों के बारे में उनसे जुड़ी हिंसा का अनुभव हुआ। अब