28 मई अन्तर्राष्ट्रीय मेन्सच्यूरेशन दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह महिलाओं के जीवन से जुड़ा एक प्राकृतिक जैविक चक्र है। परन्तु हमारे देश में हर महिला को इस स्वभाविक मासिक प्रक्रिया से जुडी़ किसी न किसी गैर मान्यता प्राप्त भ्रान्तियों, अन्धविष्वासों से गुजरना पड़ता है। महिला समाख्या में जब महिलाओं के साथ उनके दुख सुख के विषय पर और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पर सघन रूप से चर्चा की गयी तो माहवारी से जुड़ बहुत सारे ऐसे अभ्यास जानकारी मंे आये जो महिलाओं के लिये बेहद पीड़ा दायक हैं। जैसे मथुरा जिले में एक खास सम्प्रदाय में माहवारी के दौरान महिलाओं को एक खास स्थान पर पांच दिन के लिये बैठा दिया जाता है। इसी प्रकार बहुत सारे भोजन सामग्री को उस दौरान महिलाओं को स्पर्श करने से मना किया जाता है। महिलाएं पूजा पाठ और खास अवसरों से भी इस दौरान वंचित की जाती है। इन व्यवहारों के लिये समाजीकरण की इतनी सघन प्रक्रिया है कि यह व्यवहारिक भेदभाव और अन्धविश्वास पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाआंे में हस्तान्तरित होता रहता है। जब कि वास्तविकता यह है माहवारी एक महिला को सशक्त और सक्षमता प्रदान करने की प्रक्रिया है। यह प्रक्रि